मडुए की बात - रोटी से लेकर पौष्टिकता तक
मडुए की बात-रोटी से लेकर पौष्टिकता तक हम पहाड़ियों के लिए मद्दु या मडुआ और हिंदी में नाम बोलें तो रागी #Ragi और अंग्रेजी में इसे बोलतें हैं # Finger millet. मडुुुआ कई गुणों से युक्त, पौष्टिकता व स्वाद से भरा हुआ मोटा अनाज। उत्तराखंड के लोगो के लिए मडुआ कोई नया नही है, यहाँ पर सदियों से ही मडुए का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता रहा है। आज भी जब मैं अपने गाँव घर के बढ़े बुजुर्गों से बातें करती हूँ तो वो बताते हैं कि तब उनके समय मे गेंहू की रोटी तो कभी कभी #occasionally ही खाई जाती थी ज्यादातर मडुए की ही रोटी बनती थी, जो आग के चूल्हे में गरम गरम सेंक कर बनाई जाती थी। मडुआ मोटे अनाज में आता है. अगस्त सितम्बर (चौमास) में इसकी फसल कटाई होती हैं। इसके पौधे बार्षिक होते हैं जिसकी बालियों में मडुए के छोटे छोटे राई के जैसे दाने(फल) लगते हैं इन्ही छोटे छोटे दानों को पीसकर आटा बनाया जाता है जो कई चीज़ों में काम आता है। मडुआ पौष्टिकता सी भरा अनाज है जिसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट,फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं। मडुए में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो कि किसी भ