संदेश

संतुष्टि

कभी कभी आप कुछ देखते हो, महसूस करते हो, सोचते हो, मनन करते हो और फिर आप ये समझते हो कि जिंदगी हमेशा आपको कुछ न कुछ सिखाती ही रहती है, बस जरूरत उन सब से सीखने भर की होती है। आज सुबह से ही ठंड ज्यादा थी या शायद मुझे लग रही थी क्योंकि सर्दी जुखाम फिर से हो गया था मुझे। ये कमजोर इम्यून सिस्टम भी ना आये दिन की मुसीबत खड़ी कर देता है। हा तो ठंड ज्यादा थी तो सुबह 11 बजे तक सीधे दाल, चावल, सब्जी बनाकर खाना ही खा लिया था, नाश्ता स्किप कर लिया था कि इतनी बार ठंड में किचन में काम न करना पड़े। खाना खाकर सिंक में बर्तन ठुसाते हुए उनको पानी से भरकर मैं बाहर धूप में बालकनी में  रखी कुर्सी पर बैठ गई। गुनगुनी सी धूप में कुछ देर मोबाइल चलाती रही फिर बोर होने लगी तो मोबाइल साइड में रख दिया और यूँही आस पास देखने लगी। चारो और बिल्डिंग्स, व्यस्त लोग, भागते, दौड़ते लोग, लोगों के घरों की छतें, कही कही छतों पर बनाये गए खूबसूरत से टेरेस गार्डन। दूर दूर तक नजर डालती रही और फिर नजर पड़ी अपनी बिल्डिंग के जस्ट बगल में बन रही एक नई बिल्डिंग पर। आजकल तो दिल्ली में कही जगह ही नही बची, सब जगह 4 या 5 मंजिला बिल्डिंग्स ही बि

इम्तिहान जिंदगी के

बहुत अजीब है जिंदगी, इम्तिहान बहुत बार, बार बार लेती है। देखती है आपको कि अब कितनी हिम्मत बची है, कि देखु अब भी लड़ पाते हो कि नही आने वाली कठिनाइयों से।

मडुए की बात - रोटी से लेकर पौष्टिकता तक

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 मडुए की बात-रोटी से लेकर पौष्टिकता तक  हम पहाड़ियों के लिए मद्दु या मडुआ और हिंदी में नाम बोलें तो रागी #Ragi और अंग्रेजी में इसे बोलतें हैं  # Finger millet.  मडुुुआ कई गुणों से युक्त, पौष्टिकता व स्वाद से भरा हुआ मोटा अनाज। उत्तराखंड के लोगो के लिए मडुआ कोई नया नही है, यहाँ पर सदियों से ही मडुए का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता रहा है। आज भी जब मैं अपने गाँव घर के बढ़े बुजुर्गों से बातें करती हूँ तो वो बताते हैं कि तब उनके समय मे गेंहू की रोटी तो कभी कभी #occasionally ही खाई जाती थी ज्यादातर मडुए की ही रोटी बनती थी, जो आग के चूल्हे में गरम गरम सेंक कर बनाई जाती थी। मडुआ मोटे अनाज में आता है.  अगस्त  सितम्बर (चौमास) में इसकी फसल कटाई होती हैं। इसके पौधे बार्षिक होते हैं जिसकी बालियों में मडुए के छोटे छोटे राई के जैसे दाने(फल) लगते हैं इन्ही छोटे छोटे दानों को पीसकर आटा बनाया जाता है जो कई चीज़ों में काम आता है। मडुआ पौष्टिकता सी भरा अनाज है जिसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट,फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं। मडुए में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो कि किसी भ

भांग डाली पहाड़ी साग(गडेरी व लाही) का अनोखा स्वाद

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# भांग डालकर बनाई #लाई-गडेरी साग #अरबी(गडेरी) और लाई की सब्जी #Arbi #green leaves #healthy #tasty. #गडेरी  पौधे की जड़ में लगें हुए कंद (फल) होते हैं जिसे हम अरबी के नाम से भी जानते हैं जो जाड़ो व बरसात के मौसम में काफी मिलता हैं। इसके कंद के साथ साथ इसकी पत्तियों और डंठल का प्रयोग भी उत्तराखंड में सब्जी के रूप में किया जाता हैं। अरबी में कई औषधीय गुण भी होते हैं जो इसके महत्व को काफी बढ़ा देते हैं जैसे ये ह्रदय रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है तो इसकी सब्जी बनाकर उन्हें जरूर खानी चाहिए, साथ ही इसकी सब्जी महिलाओं के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है विशेषकर उनके लिए जो बच्चों को दूध पिला (#feeding) रही हों. अरबी की तासीर ठंडी होती है, परन्तु उत्तराखंड में अरबी में भांग या गन्दरैणी आदि मिलाकर इसकी तासीर को गर्म किया जाता है जो इसके स्वाद और गुण दोनों को ही काफी बढ़ा देता है। #अरबी को अलग अलग चीजो में #मिक्स करके काफी स्वादिष्ट भोजन बनाया जा सकता है। ऐसे ही एक #रेसिपी मैं आज आपके सामने लाई हूँ। इस रेसिपी में हम अरबी के साथ #लाई या #राई या #सरसों के हरे पत्ते भी मिक्स करते हैं। जिसमे #

घुघुत एक पकवान

https://youtu.be/yYWETZ4gLG0

पहचान

घूमना बहुत अच्छा होता है ना केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि कई बार ये आपके सामने कुछ ऐसे विचार या बातें ले आता है कि आप सोचने लगते हो, आप स्वयं से विचार- विमर्श करने लगते हो। आज घूमते घूमते पार्क में बैठी तो कुछ महिलाओं की बातों पर ध्यान चला गया, हम क्या है? क्या करते हैं? खाली बैठे हैं, सब पूछते हैं क्या कर रही हो? सब बड़ी भरी बैठी थीं कि घर को सब कुछ देकर भी पति या बच्चे पूछते हैं कि तुम क्या हो? उनकी बातें सुनकर बुरा भी लगा और तरस भी आया। बुरा इसलिए कि उनके योगदान को कभी समझा नही गया और तरस इसलिए कि पहचान होने के लिए केवल जॉब करना ही जरूरी नही लगता मुझे।  घर आकर भी बहुत देर तक सोचती रही मैं। पहचान। मेरी पहचान कौन हूं मैं ? बहुत सारे प्रश्न होते है सबके मन में, और ये प्रश्न सबसे ज्यादा सुनती हूँ मैं लड़कियों, महिलाओ से कि कौन है वो, क्या है उनका अस्तित्व, क्या है उनकी पहचान। और महिलाओं में भी वो महिलाएं जो जॉब नही कर रहीं हैं। ध्यान रहे मैने जॉब कहा है जॉब- जिसके बदले इंसान सैलरी पाता है, पैसे कमाता है। मैंने काम नही कहा क्योकि काम की बात आएगी तो महिलाएं शायद नही यकीनन सबसे ज्यादा का

मेरी छुट्टियां

                            मेरी छुट्टियां   मेरे आने की एक खबर घर भर को कर देती कितना व्यस्त बिटिया आ रही है कुछ दिन फिर से जीने बचपन अपना मैं छोटी सी गुड़िया आज भी अपनी माँ की मै हूँ परी आज भी अपने पापा की। दुनिया के लिए मैं बड़ी, मैं समझदार पर नासमझ उनके लिए आज भी। मेरा हर कदम सही या गलत, उनको रहती फिक्र मेरी खुद भी ज्यादा मेरे आने की खबर भर से इतराती फिरती मेरी माँ, लाखो अरमान मन मे लिए, कि आये तो ये करू वो करू, काम ना कुछ भी करने दूँ और, बस सामने बिठा के रखूं। वो ये खायेगी कि ये, वो ये पहनेगी कि वो, हर बात में एक चाव, एक खुशी की झलक। मेरे आने की खबर सुन धीरे से मुस्कराते मेरे पापा, दूर से मेरा हाल पूछ कर खुश होते मेरे पापा ज्यादा कुछ ना बोलकर बहुत कुछ जताते मेरे पापा खुश खुश चेहरो से मुझे मिलते मेरे भैय्या, मेरी भाभी प्यार से लिपटता छोटा मेरा भाई हाथो से बैग खुद थाम लेता, कहता तू चल ऐसे ही।  छोटे छोटे से नटखट बच्चे। हर पल मेरे साथ लगे बुई आई है मेरी, कहते ये नन्हे। फिर से कुछ दिन बस कुछ दिन अपना बचपन जी लूँ फिर से नाचूँ हर धुन पर और बेबात कहकहे लगा ल