भिटोली- मायके का आशीष
भिटोली- मायके का आशीष आज भिटोली आई हैं मेरी. उत्तराखंड में एक रिवाज़ हैं जिसमे चैत्र महीने में प्रत्येक परिवार अपनी शादीशुदा बेटी को पकवान, मिठाई, नए कपडे, रुपये आदि देते हैं जिसे भिटोली कहा जाता हैं. जिनकी नयी नयी शादी हुई होती हैं उनकी पहली भिटोली चैत्र से पहले महीने फाल्गुन में ही दे दी जाती हैं. प्रत्येक शादीशुदा बेटी अपने माता-पिता या भाई बहन का इंतज़ार करती हैं कि कब उसके मायके वाले उससे मिलेंगें. इस महीने का उत्साह उनमे देखते ही बनता हैं ये जानने की उत्सुकता थी की आखिर भिटोली क्यों मनाया जाने लगा इसके पीछे क्या कारण था या इसके बारे में कोई प्रचलित कहानी थी तो इस बारे में पता किया तब मेरे सामने एक कहानी आई. कहानी मेरे मामाजी ने मुझे बताई थी जब वो अपनी बहन को भिटोली देने आये थे. कहानी उनके अनुसार कुछ ऐसी थी- पुराने समय में गोपीचंद नाम के एक राजा हुए. कई वर्ष राज करने के बाद वो सांसारिक जीवन से ऊब गये और उन्होंने संन्यास ले लिया. संन्यास लेने के बाद वो जगह जगह भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करने लगे. कहा जाता हैं की जो संन्यास लेता हैं तो अपने संन्यास लेन