पहचान
घूमना बहुत अच्छा होता है ना केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि कई बार ये आपके सामने कुछ ऐसे विचार या बातें ले आता है कि आप सोचने लगते हो, आप स्वयं से विचार- विमर्श करने लगते हो। आज घूमते घूमते पार्क में बैठी तो कुछ महिलाओं की बातों पर ध्यान चला गया, हम क्या है? क्या करते हैं? खाली बैठे हैं, सब पूछते हैं क्या कर रही हो? सब बड़ी भरी बैठी थीं कि घर को सब कुछ देकर भी पति या बच्चे पूछते हैं कि तुम क्या हो? उनकी बातें सुनकर बुरा भी लगा और तरस भी आया। बुरा इसलिए कि उनके योगदान को कभी समझा नही गया और तरस इसलिए कि पहचान होने के लिए केवल जॉब करना ही जरूरी नही लगता मुझे। घर आकर भी बहुत देर तक सोचती रही मैं। पहचान। मेरी पहचान कौन हूं मैं ? बहुत सारे प्रश्न होते है सबके मन में, और ये प्रश्न सबसे ज्यादा सुनती हूँ मैं लड़कियों, महिलाओ से कि कौन है वो, क्या है उनका अस्तित्व, क्या है उनकी पहचान। और महिलाओं में भी वो महिलाएं जो जॉब नही कर रहीं हैं। ध्यान रहे मैने जॉब कहा है जॉब- जिसके बदले इंसान सैलरी पाता है, पैसे कमाता है। मैंने काम नही कहा क्योकि काम की बात आएगी तो महिलाएं शायद नही यकीनन सबसे ज्यादा का