मेरी छुट्टियां

                           मेरी छुट्टियां

  मेरे आने की एक खबर
घर भर को कर देती कितना व्यस्त
बिटिया आ रही है कुछ दिन
फिर से जीने बचपन अपना
मैं छोटी सी गुड़िया आज भी अपनी माँ की
मै हूँ परी आज भी अपने पापा की।
दुनिया के लिए मैं बड़ी, मैं समझदार
पर नासमझ उनके लिए आज भी।
मेरा हर कदम सही या गलत,
उनको रहती फिक्र मेरी खुद भी ज्यादा
मेरे आने की खबर भर से इतराती फिरती मेरी माँ,
लाखो अरमान मन मे लिए,
कि आये तो ये करू वो करू,
काम ना कुछ भी करने दूँ और,
बस सामने बिठा के रखूं।
वो ये खायेगी कि ये, वो ये पहनेगी कि वो,
हर बात में एक चाव, एक खुशी की झलक।
मेरे आने की खबर सुन धीरे से मुस्कराते मेरे पापा,
दूर से मेरा हाल पूछ कर खुश होते मेरे पापा
ज्यादा कुछ ना बोलकर बहुत कुछ जताते मेरे पापा
खुश खुश चेहरो से मुझे मिलते मेरे भैय्या, मेरी भाभी
प्यार से लिपटता छोटा मेरा भाई
हाथो से बैग खुद थाम लेता, कहता तू चल ऐसे ही।
 छोटे छोटे से नटखट बच्चे।
हर पल मेरे साथ लगे
बुई आई है मेरी, कहते ये नन्हे।
फिर से कुछ दिन
बस कुछ दिन
अपना बचपन जी लूँ
फिर से नाचूँ हर धुन पर
और बेबात कहकहे लगा लूँ
कुछ दिन अपनी भी छुट्टियां हैं
जिम्मेदारीयों से, समझदारियों से।।






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