पहचान

घूमना बहुत अच्छा होता है ना केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि कई बार ये आपके सामने कुछ ऐसे विचार या बातें ले आता है कि आप सोचने लगते हो, आप स्वयं से विचार- विमर्श करने लगते हो। आज घूमते घूमते पार्क में बैठी तो कुछ महिलाओं की बातों पर ध्यान चला गया, हम क्या है? क्या करते हैं? खाली बैठे हैं, सब पूछते हैं क्या कर रही हो? सब बड़ी भरी बैठी थीं कि घर को सब कुछ देकर भी पति या बच्चे पूछते हैं कि तुम क्या हो? उनकी बातें सुनकर बुरा भी लगा और तरस भी आया। बुरा इसलिए कि उनके योगदान को कभी समझा नही गया और तरस इसलिए कि पहचान होने के लिए केवल जॉब करना ही जरूरी नही लगता मुझे।  घर आकर भी बहुत देर तक सोचती रही मैं।
पहचान।
मेरी पहचान
कौन हूं मैं ?
बहुत सारे प्रश्न होते है सबके मन में, और ये प्रश्न सबसे ज्यादा सुनती हूँ मैं लड़कियों, महिलाओ से कि कौन है वो, क्या है उनका अस्तित्व, क्या है उनकी पहचान। और महिलाओं में भी वो महिलाएं जो जॉब नही कर रहीं हैं। ध्यान रहे मैने जॉब कहा है जॉब- जिसके बदले इंसान सैलरी पाता है, पैसे कमाता है। मैंने काम नही कहा क्योकि काम की बात आएगी तो महिलाएं शायद नही यकीनन सबसे ज्यादा काम करती हैं 24*7 काम, ना कोई वीकेंड, ना हॉलिडे, ना ही कोई वेकेशन। मतलब काम ही काम ना कोई आराम। अब कोई उनसे ये पूछे कि भई तुम्हारी क्या पहचान  है तो भला क्या बताएंगी वे? उनके काम को किसी श्रेणी में रखा ही नही गया कभी। वो तो मोहन की घरवाली, देवकी की बहू या बबलू की मम्मी के नाम से भी जानी गई तो खुश होती रही हैं। ये भी नही सोचा कि मैं भी कभी बस अपने नाम से जानी जाऊ, मेरी भी एक पहचान हो, मैं किसी की बहू, पत्नी या मां से आगे भी बढ़ जाऊ।  एक महिला सब कुछ देती है अपने घर-परिवार को, तो उनसे उनकी पहचान पूछना मतलब अपनी पहचान पूछने जैसा ही होगा, क्योकि इनकी बदौलत ही बाहर सबकी पहचान बनी रहती हैं।  सब अपने अपने फील्ड में बेहतर कर पा रहे होते हैं, घर व्यवस्थित रहता है, बच्चे ठीक तरह से शिक्षा व संस्कार पा रहे होते हैं, आपकी घर की सब जिम्दारियों, ड्यूटी और फर्ज को ये पूरा कर रही होती है। घर को घर की पहचान देती है महिलाएं और उनसे उनकी पहचान पूछी जाती है। वो घर जिसे आप अपना कहते हो उसे घर एक महिला ने बनाया जिनसे की आप उनकी पहचान पूछते हो? जॉब करना, पैसे कमाने से ही क्या पहचान हो सकती हैं, एक बड़ा प्रश्न हैं? 
एक अलग पहचान रखना अच्छी बात है, बनानी भी चाहिए।  पर स्वयं को आशावान और आत्मविश्वासी बनाने के लिए, खुश रहने के लिए, जीवन की बड़ी ही नही छोटी छोटी खुशियो को भी महसूस करने के लिए। लेकिन केवल पैसे कमाने या जॉब करने से ही आप पहचान बनाओ ये भी जरूरी नही, अपनी पसंद का कोई भी काम, समाजसेवा, नृत्य या जो भी आपको सुकून दे आप वो कर सकते हो और अपनी पहचान बना सकते हो।आप अपने घर को वो सब दे पा रही हो जो  आपके अलावा कोई दे ही नही सकता, न पैसे कमा कर लाने वाला और ना पैसे देकर घर के काम करने वाली बाई। आपका हर जगह ध्यान देना ही आपके घर को घर बनाता है तो आपकी पहचान हैं ना- कि ये जो मकान है ये घर है आपकी बदौलत, ये जो सुकून है आपकी बदौलत, कब किसको खाना चाहिये, किसे दवा, किसे आराम ये सब आपके कारण ही तो हो पाता है तो फिर क्यो किसी से अपनी पहचान पूछनी और क्यो बतानी कि आपके कारण ही तो ये सब है। आप पूछो उनसे उनकी पहचान-  कि आपके बिना वो क्या है?😊😊 ☺️☺️☺️☺️
सभी कार्यो का आदर होना चाहिए, सम्मान होना चाहिए  चाहे वो कार्य घर के बाहर का हो या भीतर का, चाहे वो जॉब के लिए घर से बाहर निकले पुरूष  या महिला हो  या घर के भीतर काम कर रहे लोग। क्योंकि किसी भी कार्य को करने में  मेहनत, समय, दिमाग, शारिरिक बल या मानसिक बल जरूर लगता हैं। अगर आप जॉब करने में खुशी महसूस करती है तो जरूर करें पर केवल लोगो को दिखाने के लिए, तो ये गलत होगा जॉब के लिए भी और आपके लिए भी, ना आप अपना जॉब अच्छे से कर पाओगे ओर ना खुद को खुश रख पाओगे। केवल हम ही किसी पर निर्भर है ये भी सिरे से गलत ही है क्योंकि प्रकृति में प्रत्येक जीवित या अजीवित एक दूसरे पर किसी न किसी रूप में निर्भर जरूर है। प्रकृति केवल एक के सहारे नही चलती। एक छोटी सी चींटी भी उतना ही महत्व रखती है जितना आप या मैं। तो अगर आप जॉब ना भी कर रही हो तो हीनभावना ना आने दें।
 सभी कार्यो का सम्मान जरूर करें, अपने होने पर खुश रहे, अच्छा सोचें और पहचान के लिए किसी पर निर्भर भी ना रहें क्योकी आप हमेशा आप रहेंगी चाहे जॉब करें या क्वीन ऑफ होम बनें।
Be positive always☺️☺️☺️

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